योग काल या कार्यग्रहण काल – सम्पूर्ण जानकारी

कर्मचारी को एक पद से दुसरे पद पर स्थानान्तरण पर कर्मचारी को नवीन पद पर कार्यग्रहण करने के लिए दिया गया समय कार्यग्रहण काल या योग काल कहलाता हैl स्वेच्छा से स्थानान्तरण पर कार्यग्रहण काल देय नहीं है l  कर्मचारी का स्थानान्तरण जन हित में होने पर ही कार्यग्रहण काल देय होता है l  यदि अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत स्थानान्तरण होता है तो उसे कार्यग्रहण काल सक्षम अधिकारी के विवेक पर देय होता है l यदि कर्मचारी का 180 दिन तक अस्थाई स्थानान्तरण होता है तो  कर्मचारी को किसी भी प्रकार का कार्यग्रहण काल देय नही होता है l कार्यग्रहण काल में कर्मचारी को पूर्ण वेतन और भत्ते देय होते है  l

कर्मचारी का स्थानान्तरण होने पर 02 किलोमीटर तक उसे 01 दिन का कार्यग्रहण काल देय होता है कार्य ग्रहण काल इस प्रकार देय होता है –

क्रम संख्यास्थानान्तरण दुरी किलो मीटर मेंदेय योगकाल
1लोकल 2 किलोमीटर तक01 दिन
2स्थानीय परन्तु 100 किलोमीटर तक10 दिन
30 से 1000 किलोमीटर  तक रेल से10 दिन
40 से 1000 किलोमीटर तक बस से12 दिन तक
51000 से 2000 किलोमीटर तक रेल से12 दिन तक
61000 से 2000 किलोमीटर तक बस  से15 दिन तक
72000 किलोमीटर से ज्यादा15 दिन तक

यदि कर्मचारी कार्य ग्रहण काल का उपयोग नहीं करता है और पहले ही ज्वाइन कर लेता है तो कार्य ग्रहण काल से बराबर PL (उपार्जित अवकाश) उस के खाते में दर्ज कर दिए जायेंगे l

कार्यग्रहण काल या योग काल की गणना स्थानान्तरण आदेश की अगली तारीख से सुरु होती है जैसे किसी कर्मचारी का स्थानान्तरण आदेश 10 तारीख को जारी होता है तो कार्य ग्रहण काल 11 तारीख से प्रभावी होगा एपीओ की मामले में 4 दिन का कार्य ग्रहण काल देय है l यदि किसी कर्मचारी के पास भंडारों का चार्ज है तो एपीओ के मामले में 7 दिन का कार्य ग्रहण काल देय है l

कार्यग्रहण अवधि हमेशा स्थानान्तरण के अगले दिन से प्रारंभ होती है सामान्य तौर पर नियत तिथि तक कोई कर्मचारी नवीन पद पर न करे तो सम्बंधित अधिकारी उस की पिछली सेवा को जब्त कर सकता है उचित कारण बता दे तो उस द्वारा ज्यादा ली गई अवधी नियम ९६ के तहत असाधारण अवकाश माने जायेंगे  कार्य ग्रहण काल में कोई सार्वजानिक अवकाश हो तो उसे कार्यग्रहण काल में ही गिना जायेगा परीक्षाधीन कर्मचारी को यात्रा में लगा समय ही कार्य ग्रहण काल देय है